नुमाया हो गई हस्ती, अयाँ बेबाकियाँ जो थीं

नुमाया हो गई हस्ती, अयाँ बेबाकियाँ जो थीं।
बुढ़ापा किस तरह छुपता बदन पे झुर्रियाँ जो थीं॥

भँवर से बच निकलने के जतन हम को ही करने हैं।
बहुत गहरे उतरने में हमें दिलचस्पियाँ जो थीं॥

तरसते ही रहे हम आप के इकरार की ख़ातिर।
मुक़द्दर में हमारे आप की ख़ामोशियाँ जो थीं॥

दिलों की हमख़याली ही दिलों को पास लाती है।
त’अल्लुक़ टूटना ही था, दिलों में दूरियाँ जो थीं॥

किसी पर तबसरा करने से पहले सोचिये साहब।
परिन्दे किस तरह उड़ते बला की आँधियाँ जो थीं॥

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