तूने भी क्या पाया हमको तनहा कर के

तूने भी क्या पाया हमको तनहा कर के।
अब तो वापस आ जा कान्हा किरपा कर के॥

मुरलीवाले बैर हमारा मुरली से था।
तू क्यों छोड़ गया है ब्रज को सूना कर के॥

बाँके! ये तो बोल तुझे क्या मिल जाता है।
सीधे-सच्चे लोगों को दीवाना कर के॥

तू ही बतला दे तुझ तक कैसे पहुँचें हम।
तूने अपना मोल रखा है ऊँचा कर के॥

कभी तो सुन ले बाबा के दिल की ख़ामोशी।
टेर रही है तुझको चिल्ला-चिल्ला कर के॥

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