ज़र्रे-ज़र्रे में मुहब्बत भर रही है


ज़र्रे-ज़र्रे में मुहब्बत भर रही है।
क्या नज़र है और क्या जादूगरी है॥

प्यार के पट खोल कर देखा तो जाना।
दिल हिमालय, ख़ामुशी गंगा नदी है॥

हम तो ख़ुशबू के दीवाने हैं बिरादर।
जो नहीं दिखती वही तो ज़िन्दगी है॥

किस क़दर उलझा दिया है बन्दगी ने।
उस को पाएँ तो इबादत छूटती है॥

ये अँधेरे ढूँढ ही लेते हैं हम को।
इन की आँखों में ग़ज़ब की रौशनी है॥

एक दिन हम ने गटक डाले थे आँसू।
आज तक दिल में तरावट हो रही है॥

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