हरकत न हो तो आब-ओ-हवा भी न टिक सके।
आमद बग़ैर माल-ओ-मता भी न टिक सके॥
रंजिश कि प्यार कुछ तो है रेत और लह्र में।
साहिल पे मेरे पाँव ज़रा भी न टिक सके॥
हद में रहे बशर तो मिलें सौ नियामतें।
हद भूल जाये फिर तो अना भी न टिक सके॥
पानी बग़ैर टिक न सकेगी धरा, मगर।
पानी ही पानी हो तो धरा भी न टिक सके॥
सच में ये आदमी जो निभाये मुहब्बतें।
टकसाल छोड़िये जी टका भी न टिक सके॥
बदहाल आदमी को डरायेगी मौत क्या।
नंगा हो सामने तो बला भी न टिक सके॥
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