कहानी बड़ी मुख़्तसर है


कहानी बड़ी मुख़्तसर १ है।
कोई सीप कोई गुहर २ है॥

बगूलों से उपजे बगूले ३।
हवा तो फ़क़त नोंक भर है॥

फ़क़ीरों को दुनिया की परवा।
अगरचे ४ नहीं है, मगर है॥

तुम्हारा कहा भी सुनेगी।
अभी रूह परवाज़ ५ पर है॥

ठहरते- ठहरते, ठहरते।
ठहरना भी तो इक हुनर है॥

कहो तो यहीं दिन तलाशें।
यहाँ तीरगी ६ पुरअसर ७ है॥



१ संक्षिप्त २ मोती ३ बवण्डर, हवा का गोला / घेरा, चक्रवात ४ हालाँकि ५ उड़ान ६ अँधेरा ७ भरपूर, अत्यधिक

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