निभाई यार से यारी, मेरा श'ऊर था वो


निभाई यार से यारी, मेरा श'ऊर था वो
मगर, यूँ लगता है अब तो, कोई क़ुसूर था वो

चली हवा तो पतंगे सा उड़ गया पल में
बताया लोगों ने मुझको, मेरा ग़ुरूर था वो

वो जो हसीन परी का ख़याल था दिल में
सही कहूं, तो ख़यालात का फ़ितूर था वो

फ़क़ीर दिल ने इरादा बदल दियावरना
न सिर्फ़ बाँहों में था नश्शे में भी चूर था वो

न जाने कौन था जो दरमियाँ उभर आया 
न उससे दूर था मैं और न मुझसे दूर था वो

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