नहीं
हर बार कुदरत का करिश्मा 1 चाहिये साहब।
सलीक़ा
काम आता है क़रीना 2 चाहिये साहब॥
नज़र
और जिस्म तो केवल प्रियंका के दीवाने हैं।
मगर
मन-मीत कहते हैं मनीषा 3 चाहिये साहब॥
हमारे
घर को भी नन्ही कली गुलज़ार कर देती।
हमें
बस इतना कहना था तनूजा 4 चाहिये साहब॥
पुराने
चावलों की हर ज़माना क़द्र करता है।
लता
दीदी के युग में भी सुरैया चाहिये साहब॥
नदी
के तीर पर अद्भुत,
अलौकिक शांति मिलती है।
हताशा
हो तो लाज़िम है बिपाशा 5 चाहिये साहब॥
पयोधर
6 टूटते हैं तो धरा 7 भी टूट जाती है।
धरम
इन्दर 8 को समझाओ कि हेमा 7 चाहिये साहब
नहीं
हरगिज़ अँधेरों की सिफ़ारिश कर रहे हैं हम।
‘नवीन’
इक भोर की ख़ातिर शबाना 9 चाहिये साहब॥
1
चमत्कार, मिराकल 2 तरीक़ा, पद्धति मॅनर 3 पढ़ी-लिखी, विदुषी, एजुकेटेड लेडी 4 बेटी 5 नदी 6 बादल 7 पृथ्वी,
धरती 8 बारिश के देवता 9
रात [रात के हालात]
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