उसूल अपनी जगह कामकाज अपनी जगह

उसूल अपनी जगह कामकाज अपनी जगह। 
यक़ीन अपनी जगह है रिवाज अपनी जगह॥ 

मैं तब ज़हीन था और अब पढ़ा-लिखा इन्सान। 
अज़ल है अपनी जगह और आज अपनी जगह॥ 

किसी दीवानी की उलफ़त ने हम को सिखलाया। 
लगन है अपनी जगह लोकलाज अपनी जगह॥ 

शकेब को भी तो हमजिंस की कमी खटकी। 
मक़ाम अपनी जगह है मिज़ाज अपनी जगह॥ 


ज़हीन – कुशल / दक्षअज़ल – सृष्टि का पहला दिन, हमजिंस – अपने जैसा

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