आज
के माहौल में भी पारसाई 1 देख ली।
हम
ने अपने बाप-दादा की कमाई देख ली॥
कैसे
आँखें करती हैं दिल की तराई देख ली।
अपनी
आँखों से बिटनिया की बिदाई देख ली॥
जी
हुआ चलिये ज़माने की बुराई देख आएँ।
आईने
के सामने जा कर बुराई देख ली॥
नेकियों
के बाद या नाकामियों की राह पर।
रस्म
जो दुनिया ने पग-पग पर निभाई देख ली॥
एक
दिन हम बिन पिये बस लड़खड़ा कर गिर पड़े।
चन्द
लमहों में ख़ुदाओं की ख़ुदाई देख ली॥
फिर
कभी इस तर्ह से नाराज़ मत होना ‘नवीन’।
एक
लमहे में ज़मानों की जुदाई देख ली॥
1
धार्मिकता, सदाचार
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