ज़हनियत की जरीब हैं हम लोग


ज़हनियत1 की जरीब 2 हैं हम लोग।
वाक़ई ख़ुश-नसीब हैं हम लोग॥

नर्म-नाज़ुक मिज़ाज है अपना।
आदतन अन्दलीब 3 हैं हम लोग॥

शेर पढ़ते हैं तिस 4 बुझाते हैं।
तिश्नगी 4 के तबीब 5 हैं हम लोग॥

आज तक जो हमें मिले ही नहीं।
उन ख़तों के मुजीब 6 हैं हम लोग॥

जो नराधम 7 को भी क्षमा कर दे।
उस धरम के ख़तीब 8 हैं हम लोग॥

बादशाहों से कैसे मिलवाएँ।
नायबों के नक़ीब 9 हैं हम लोग॥

जो समझता है दिल की बात ‘नवीन’।
उस अदब 10 के अदीब 11 हैं हम लोग॥

1 ज़हनियत – बुद्धि सम्बन्धित अवस्था 2 जरीब – मापने की एक विशेष पट्टी / फ़ीता 3 अन्दलीब – बुलबुल 4 तिस / तिश्नगी – प्यास 5 तबीब – चिकित्सक 6 मुजीब – उत्तरदाता 7 नराधम – अधम / नीच मनुष्य, अमानव, अमानुष 8 ख़तीब – धर्मगुरू, वक्ता 9 नक़ीब – चोबदार 10 अदब – साहित्य 11 अदीब – साहित्यकार

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