भटक
न जाये कहीं और यह दिले-रौशन १।
ज़रा
इधर भी नज़र कर ऐ मञ्ज़िले-रौशन २॥
सियाह-शब
३ में सफ़ीने ४ कहाँ-कहाँ भटके।
ये
जानता ही कहाँ है वो साहिले-रौशन ५॥
उजास
भरते हैं लमहों में फ़ैसले इस के।
तभी
तो वक़्त को कहते हैं आदिले-रौशन ६॥
तमाम
उम्र सियापों ७ से क्यों उजाली जाय।
जहाँ
में और भी तो हैं मसाइले-रौशन ८॥
हमें
नहीं तो किसी और को मिले मौक़ा।
किसी
के काम तो आये ये महफ़िले-रौशन॥
१
प्रकाशमय हृदय २ प्रकाशमय लक्ष्य, मञ्ज़िल ३ अँधेरी-रात ४ सफ़ीना - बड़ी नाव ५ नदी
/ समुन्दर का प्रकाशमय किनारा ६ आदिल - न्यायप्रिय व्यक्ति ७ सियापा - शोक ८ मसाइल
- समस्याएँ

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