सपनों
को पलने दीजे।
लमहों
को लमहे दीजे॥
अँसुअन
के धारे दीजे।
अँखियों
को हँसने दीजे॥
सुन
कर भी सुनते ही नहीं।
आप
तो बस रहने दीजे॥
दिल
पिंजड़े में रह लेगा।
दाना-पानी
दे दीजे॥
ख़ुशियाँ
आप के पास नहीं।
ग़म
तो अच्छे से दीजे॥
कातिल
पर है ख़ून सवार।
दिल
को फव्वारे दीजे॥
पलकें
पसरी जाती हैं।
भवों
को सुस्ताने दीजे॥
लौट
आयेंगे जल्दी ही।
ज़रा
सा उड़ लेने दीजे॥
नयी
कोंपलों की ख़ातिर।
हवाओं
को पत्ते दीजे॥
गुम
हो जायेंगे गिर कर।
तारों
को टिकने दीजे॥
फ़न
को पाँव नहीं दरकार।
हम
को हरकारे दीजे॥
दीवारें
भी महकेंगी।
महकारें
ला के दीजे॥
बेकल
है मन का जोगी।
दरिया
को बहने दीजे॥
बचपन
माँग रहा है ‘नवीन’।
अँगने-गहवारे
दीजे॥
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