पहले तो हम को पंख हवा ने लगा दिये
और फिर हमारे पीछे फ़साने लगा
दिये
दुनिया हमारे नूर से वैसे भी दंग थी
और उस पे चार-चाँद पिया ने लगा दिये
तारे बेचारे ख़ुद भी अँधेरों से तंग हैं
सूरज ने उगते-उगते ज़माने लगा दिये
हँसते हुए लबों पै उदासी उंडेल दी
शादी में किसने हिज्र के गाने लगा दिये
ऐ कारोबारे-प्यार इश्क़ ख़सारा ही कुछ उतार
साँसों ने बेशुमार ख़ज़ाने लगा दिये
कुछ यूँ समय की जोत ने रौशन किये दयार
हम जैसे बे-ठिकाने ठिकाने लगा दिये
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