मुझे
ये बात परेशान कर रही है बहुत
अना
जहान का नुक़्सान कर रही है बहुत
भले
ही जश्न में तब्दील हो रही है हसद
मगर मुझे तो पशेमान कर रही है बहुत
ये
झूठी शान हमारी ख़राब हालत को
छुपा
नहीं रही उरियान कर रही है बहुत
वो
बात जिस में ज़िहानत नहीं जहालत है
दयारे-फ़िक्र
को वीरान कर रही है बहुत
भले
वो अब्रों की टुकड़ी बरस नहीं सकती
मुसाफ़िरों
पै तो एहसान कर रही है बहुत
सुख़नवरी
में समायी हुई है उसकी ज़ात
ये
मुश्किलात को आसान कर रही है बहुत
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