दर्द के हाथों में परचम आ
गया ।
बात में लहजा मुलायम आ
गया॥
क्या करिश्मे हो रहे हैं
आज कल।
आज नज़राने की थी उस से
उमीद ।
भर के वो आँखों में शबनम
आ गया ॥
हम ने समझा प्यार
बरसायेगा प्यार।
अश्क़ बरसाने का मौसम आ
गया ॥
चार दिन तक ही रही दिल
में बहार ।
फिर उजड़ जाने का मौसम आ
गया ॥
चल, नई धुन
छेड़ कर आलाप लें।
ज़िन्दगी की ताल में सम आ
गया ॥
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