बैद की बाँहों में रह कर भी जो तनहा हो जाऊँ
इससे अच्छा तो यही है कि मैं अच्छा हो जाऊँ
तेरी निस्बत है हयात और अदावत है मौत
देख मत ऐसे कि अल्लाह को प्यारा हो जाऊँ
उसकी मर्ज़ी है कि अपनाए न अपनाए मुझे
मेरी क़ुव्वत में नहीं है कि पराया हो जाऊँ
मेरी दीवानियों को देख के कुढ़ती है क्यों
हुक़्म तेरा ही तो था छैल छबीला हो जाऊँ
भीड़ तो चाहिए तन्हाई से डरता हूँ मैं
हाँ मगर वैसी नहीं जिसमें अकेला हो जाऊँ
है सयाना कोई जो इश्क़ में बरबाद हुआ
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