अपुन दौनों के ग़म अब एक जैसे रह नहीं पाये

 

अपुन दौनों के ग़म अब एक जैसे रह नहीं पाये

तभी तो आपसे हम दिल की बातें कह नहीं पाये

 

ग़मों के और ख़ुशियों के कई पल तेरे जाते ही

उमड़ तो आये आँखों में, घुमड़ कर बह नहीं पाये

 

नयी दुनिया बसाने की घड़ी मुश्किल से आयी थी

मगर तक़दीर तो देखो कि खंडर ढह नहीं पाये

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें