नहीं चढ़ना था पर अब चढ़ चुके हैं

 

नहीं चढ़ना था पर अब चढ़ चुके हैं

जहाँ चढ़ना था साहब चढ़ चुके हैं

 

सुनो री सीढ़ियो आराम कर लो

जिन्हें चढ़ना था वे सब चढ़ चुके हैं

 

मुझे तो भूलकर भी मत बुलाना

तेरे मिम्बर पै बेढब चढ़ चुके हैं

 

कोई भी टोटका जँचता नहीं अब

नज़र में ऐसे करतब चढ़ चुके हैं

 

अलम है शिव मेरी आँखें जलहरी

घड़े भर भर लबालब चढ़ चुके हैं

 

ग़ज़ल ऐसी है इक मूरत कि जिस पर

हज़ारों गुंच--लब चढ़ चुके हैं

 

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