तुम्हारी
ना में जो हाँ है शरारत इसको कहते हैं
और इस
हाँ में जो ना ना है मुसीबत इसको कहते हैं
भले
लड़ना, झगड़ना, रूठ जाना, पर मनाने पर
गले से आ के लग जाना मुहब्बत इसको कहते हैं
कभी
देखा नहीं जिसको न कोई तजरिबा जिसका
उसे
सबकुछ समझ लेना इबादत इसको कहते हैं
ख़ताओं
को नज़र-अन्दाज़ करके
मुस्कुरा देना
शिकायत
भी नहीं करना इनायत इसको कहते हैं
कमाई
के मुताबिक़ ख़र्च करके भी बचत करना
कुबेरों
का भी कहना है कि बरकत इसको कहते हैं
ये
अपना छोटा सा घर और प्यारे प्यारे ये बच्चे
फ़रिश्तों
का भी कहना है कि जन्नत इसको कहते हैं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें