अब आवै तो फ़क़त उसकी ख़बर आवै

अब आवै तो फ़क़त उसकी ख़बर आवै।
सुकूनो-चैन जिसको देखकर आवै।।

हम उसके वासते नीलाम हो जाएँ।
मगर दिलबर में दिलबर तो नज़र आवै।।

हमें मरहम समझ कर ही बुला लेना।
पुराना दर्द जो फिर से उभर आवै।।

शहंशाहे-मुहब्बत है वही जिसको।
मुहब्बत में तड़पने का हुनर आवै।।

चलो बे-ताबियों को ही निखारा जाय।
कोई तुहमत हमारे भी तो सर आवै।।

भला शैतान क्या कर पायेगा साहब।
अगर इनसान अपनी पर उतर आवै।।

सदफ़ तो खुल गया अब देखना है यह। 
निकलकर कौन सा इससे गुहर आवै।।

सदफ़ - सीपी, गुहर - मोती 

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