आदमी के हाथ में पैसे नहीं हैं

 

आदमी के हाथ में पैसे नहीं हैं

दोस्त ये हालात कुछ अच्छे नहीं हैं

 

हम वही हैं शून्य खोजा था जिन्होंने

अब इशारे तक समझ पाते नहीं हैं

 

पीस कर ऐसे नहीं बाँटो हमें तुम

आदमी हैं ताश के पत्ते नहीं हैं

 

बादशाहत का भला हम क्या करेंगे

दोस्त हम शतरंज के मुहरे नहीं हैं

 

क्यों बनाते हो तुम ऐसे हॉस्पीटल

लोग जिनके बिल चुका पाते नहीं हैं

 

वह ज़माना और वे बज़्में अलग थीं

अब कहीं भी वैसे दीवाने नहीं हैं

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