जब ज़माने के फ़सानों के
मुक़ाबिल 4 हुए हम।
तब कहीं इश्क़ के इसकूल
में दाख़िल हुए हम॥
छन-छनन करते हुये आते हो
छा जाते हो।
नर्म हाथों की दवा दिल को
बहुत लगती है।
इसलिये ही तो मसीहाओं पै
माइल 2 हुये हम।।
शायद इस बार हमारा भी कोई
जिक्र छिड़े।
गुफ़्तगू 3 में तो कई
मरतबा शामिल हुए हम॥
और सब लमहे तो सैकिण्ड की
सूई निकले।
पल तो बस वे ही थे जब आप
को हासिल हुए हम॥
हम में कुव्वत ही कहाँ है
जो किसी से उलझें।
सिर्फ़ अपने ही बस अपने ही
मुक़ाबिल 4 हुए हम॥
हम हरिक जुर्म के हर
जुल्म के शाहिद 5 हैं 'नवीन'।
यों अगर सोचें तो तहज़ीब
6 के क़ातिल हुए हम॥
1 किसी का क़ाइल होना यानि
किसी की बात मान लेना 2 आकर्षित 3 बातचीत
4 प्रतिस्पर्धी 5 गवाह 6 संस्कृति
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