बस वही चाँद सितारों को समझ पाते हैं

बस वही चाँद सितारों को समझ पाते हैं।
इश्क़ वाले ही इशारों को समझ पाते हैं।

बेवफ़ाओं से नहीं रखना वफ़ा की उम्मीद।
बेसहारे ही सहारों को समझ पाते हैं।।

ये न होतीं तो बदन जल गये होते साहब।
सब कहाँ ग़म की फुहारों को समझ पाते हैं॥

चीर पाये हों मुक़द्दर के भँवर को जो लोग।
वे ही तक़दीर के मारों को समझ पाते हैं।।

ख़ुद नदी चीर कर बढ्ने की हवस में साहब। 
सब कहाँ कटते-किनारों को समझ पाते हैं॥

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