निगाह सबकी निगहबानों तक पहुँचती है


निगाह सबकी निगहबानों तक पहुँचती है 

कोई भी प्यास होपैमानों तक पहुँचती है

 

वो एक पल की तलब हो कि ज़िन्दगी भर की

मगर दीवानगी दीवानों तक पहुँचती है

 

नज़र मिलाना तो ये सोचकर मिलाना तुम

ज़रा सी बात भी अफ़सानों तक पहुँचती है

 

ख़बर जो होती तो हमको बुला लिया जाता

हरिक ख़बर कहाँ सुल्तानों तक पहुँचती है

 

कोई क़बूल करे या नहीं करे लेकिन

हमारी बात कई कानों तक पहुँचती है

 

चलो लगाऐं महकते हुए गुलों की पौध

हवा हमारे भी दालानों तक पहुँचती है

 

हुज़ूरे-आला हमारी ज़ुबान क्यों सिल दी

हमारी ख़ामुशी नुकसानों तक पहुँचती है

 


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