बिछाकर रासतों में ख़ार तुमने

 

बिछाकर रासतों में ख़ार तुमने

दुखाया दिल मेरा क्यों यार तुमने

 

ख़याल अब कौन रक्खेगा तुम्हारा

मुझे भी कर दिया बीमार तुमने

 

ख़ुदा रक्खे तुम्हारी आबरू को

अभी देखा नहीं बाज़ार तुमने

 

तपोगे तो ही बन पाओगे गौतम

अभी छोड़ा है बस घर बार तुमने

 

मैं तुमको बेवफ़ा कहता रहा हूँ

मगर झुठला दिया इस बार तुमने

 

तुम्हारा तजरबा तो कम नहीं है

मगर सीखा नहीं ब्यौहार तुमने

 

अमाँ मैं भी यहीं तुम भी यहीं ही

किसे पहुँचा दिया उस पार तुमने

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