मुश्किलें मत पूछ, आसानी न पूछ।
है बड़ा, तो बात बचकानी न पूछ ।।
याद कर अपने लड़कपन के भी दिन।
क्यूँ हुई बच्चों से नादानी न पूछ।।
भेड़िया क्या जाने इंसानी रिवाज़|
धूर्त से तहज़ीब के मानी न पूछ।।
जो मुक़द्दर ने दिया कर ले कुबूल।
कर्ण! कुंती की परेशानी न पूछ ।।
थे फ़िदा जिस पर गुलाबों के मुरीद।
कौन थी वो श़क्ल नूरानी न पूछ।।
बोलना आता तो क्यूँ होता हलाल।
बेज़ुबाँ से वज़्हेक़ुरबानी न पूछ।।
रोशनी से गर तुझे परहेज़ है|
फिर सरंजामे-निगहबानी न पूछ।।
मछलियों के हक़ में बगुलों की जमात।
किस कदर है मुझको हैरानी न पूछ।।
हाथ कंगन आरसी मौज़ूद है।
अब तो कोई बात बेमानी न पूछ।।
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