कह रहे हैं बड़े मज़े में हैं ।
सब के सब क्या मुगालते में हैं
॥
मैं न कहता था आ रहा है चाँद
।
अब सितारे भी रास्ते में हैं
॥
ख़ुद को आवाज़ दी तो इल्म हुआ ।
ज़िन्दगी! सब तेरे कहे में हैं
॥
हमने हर दौड़ नींद में जीती ।
मुश्किलें सिर्फ़ जागते में हैं
॥
मैं कहाँ हूँ मुझे नहीं मालूम
।
हाँ, मेरे पाँव - बुतकदे में हैं ॥
मन सभी के सुलह को हैं तैयार
।
सिर्फ़ तन ही मुक़ाबले में हैं॥
जिस्म को कम न आँकिये साहब ।
सब सरंजाम इस किले में हैं ॥
मछलियाँ किस तरह रखें रोज़े ।
ख़ामियाँ अपने सोचने में हैं ॥
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें