घूमते रहते हैं तनहा रात में

घूमते रहते हैं तनहा रात में।
सर्द लमहे हाथ डाले हाथ में॥

इस तरह दुनिया बिगड़ती ही नहीं।
आदमी रहते अगर औक़ात में॥

जो भी जैसे भी हो देखा जायेगा।
क्यों बुरा सोचें बुरे हालात में॥

दिल-परिन्दे को हवायें खा गयीं।
खुल न पाये पंख झञ्झावात में॥

लो सुकूँ मिलने के बानक बन गये।
बेकली मिलने लगी सौगात में॥

आप के चरनों को धो-धो कर पियूँ।
आप अगर आ जायँ इस बरसात में॥

शेर लफ़्फ़ाज़ी नहीं होते 'नवीन'
बात होनी चाहिये कुछ बात में॥

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