जैसे कोई बलशाली कर डाले निरबल के टुकड़े

जैसे कोई बलशाली कर डाले निरबल के टुकड़े।
आँधी अक्सर कर देती है जलती मिशअल के टुकड़े॥

बदन किसी का भी हो पर जब ख़ून टपकता देखे है।
औरत ख़ुद ही कर देती है अपने आँचल के टुकड़े॥

यह लोबान का जंगल है और वह चन्दन वाला उपवन।
कारोबार ने कर डाले हैं सारे जंगल के टुकड़े॥

याँ से वाँ तक हम सारे ही जीते जी कटते हैं रोज़।
पता नहीं, फिर क्यों करते हैं हम इस मक़्तल के टुकड़े॥

रुख़सत होते वक़्त उलझ कर टूटी थीं जुल्फ़े-जानाँ।
आँखों के आगे बुन गये थे जाला कुन्तल के टुकड़े॥

जितना ग़म से उबरना चाहें उतना धँसते जाते हैं।
काश कोई सूरज कर दे इस ग़म की दलदल के टुकड़े॥

तुम्हीं कहो घर देता है सुख या घर के दीवारो-दर।
छागल पानी ठंडा करती है या छागल के टुकड़े॥

यह धरती, आकाश, हवा, पानी, और सारे उलकापिण्ड।
किसी विराट-बदन के पैरों की हैं पायल के टुकड़े॥

युगों-युगों पहले भी हम तकनीक़-नवाज़ रहे हैं 'नवीन'
राम ने मीलों दूर से कर डाले थे कुण्डल के टुकड़े॥


मिशअल - मशाल, टॉर्च
लोबान - एक सुगन्धित पदार्थ
मक़्तल - वधस्थल, कट्टीघर, संसार के लिये प्रयुक्त
कुन्तल - ज़ुल्फ़ें, बाल, हेर्स

छागल - चमड़े से बनायी गयी मशक जिस में पानी ठण्डा रहता है

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