पहले तो इज़हार टाला जायेगा

पहले तो इज़हार टाला जायेगा। 
फिर बहानों को खँगाला जायेगा॥ 

चैन लूटा, दिल भी घायल कर दिया। 
और क्या अब दम निकाला जायेगा॥ 

रो रहे हो क्यों, तुम्हें बोला तो था। 
आँख से काजल उचाला जायेगा॥ 

हम भला इन मुश्किलों से क्यों डरें। 
जैसे भी होगा सँभाला जायेगा॥ 

मूँद कर आँखें करो रब दा ख़याल। 
नाभि तक उस का उजाला जायेगा॥ 

काश अगली बार कुछ इंसाफ़ हो। 
अब के बस मुद्दा उछाला जायेगा॥ 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें