Ghazals of Navin C. Chaturvedi
बर्फ़ अगरचे पिघल रही होगी
बात कर पर ही टल रहेगी
आज हम इतना मुस्कुराये हैं
बेकली हाथ मल रही होगी
ये तो लोबान जैसी खुशबू है
कोई मीरा पिघल रही होगी
क्या तुम उस वक़्त मिलने आओगे
साँस जब घर बदल रही होगी
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