अगर
अपना समझते हो तो फिर नखरे दिखाओ मत।
ये
कलियुग है, इसे
द्वापर समझ कर भाव खाओ मत॥
हम
इनसाँ हैं, मुसीबत
में - बहुत कुछ भूल जाते हैं।
अगर
इस दिल में रहना है तो फिर ये दिल दुखाओ मत॥
न
ख़ुद मिलते हो, ना
मिलने की सूरत ही बनाते हो।
जो
इन आँखों में रहना है तो फिर आँखें चुराओ मत॥
भला
किसने दिया है आप को यह नाम 'दुःखभंजन'।
सलामत
रखना है यह नाम तो दुखड़े बढ़ाओ मत॥
मुआफ़ी
चाहता हूँ, पर
मुझे यह बात कहने दो।
तुम
अपने भक्तों के दिल को दुखा कर मुस्कुराओ मत॥
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