मेरे
मौला की इनायत के सबब १ पहुँचा है।
ज़र्रा-ज़र्रा
यहाँ रहमत के सबब पहुँचा है॥
कोई
संजोग नहीं है ये अनासिर २ का सफ़र।
याँ
हरिक शख़्स इबादत के सबब पहुँचा है॥
दोस्त-अहबाब
हक़ीमों को दुआ देते हैं।
जबकि
आराम अक़ीदत ३ के सबब पहुँचा है॥
न मुहब्बत
न अदावत न फ़रागत ४ न विसाल ५।
दिल
जुनूँ तक तेरी चाहत के सबब पहुँचा है॥
एक तो
ज़ख्म दिया उस पे यूँ फ़रमाया 'नवीन'।
"तीर
तुझ तक, तेरी शुहरत के सबब पहुँचा है"॥
१ के
कारण २ पंचतत्व,
दुनिया में आना ३ श्रद्धा, विश्वास ४ बिछुड़न ५ मिलन
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