कुहासा
छँट गया और उजाला हो गया है।
गगनचर
चल गगन को सवेरा हो गया है॥
वो
भी था एक ज़माना, कि
कहता था ज़माना।
चलो
यमुना किनारे - सवेरा हो गया है॥
वो
रातों की पढ़ाई - और अम्मा की हिदायत।
ज़रा
कुछ देर सो ले - सवेरा हो गया है॥
बगल
वाली छतों से, कहाँ सुनना मिले अब।
कि
अब जाने दे बैरी - सवेरा हो गया है॥
कहीं
जाने की जल्दी, कहीं
इस बात का ग़म।
शब
उतरी भी नहीं और - सवेरा हो गया है॥
न
कुकड़ूँ-कूँ हुई और - न ही झरती है शबनम।
तो
फिर हम कैसे मानें सवेरा हो गया है॥
न
जाने क्यूँ वो औघड़ बिफर उठ्ठा था हम पर।
कहा
जैसे ही उस से - सवेरा हो गया है॥
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